रविवार, 5 नवंबर 2017

प्रमुख रोग एवं नियंत्रण उकठा / उगरा रोग :-


प्रमुख रोग एवं नियंत्रण उकठा / उगरा  रोग :-
लक्षण
  • उकठा चना की फसल का प्रमुख रोग है
  • उकठा के लक्षण बुआई के 30 दिन से   फली लगने तक दिखाई देते है 
  • पौधों का झुककर मुरझाना
  • विभाजित जड़ में भूरी काली धारियों का दिखाई देना 
नियंत्रण विधियाँ :-  





  • चना की बुवाई अक्टूबर माह के अंत में या नवम्बर माह के प्रथम सप्ताह में करें
  • गर्मी के मौसम (अप्र - मई) में खेत की गहरी जुताई करें
  • उकठा रोगरोधी जातियां लगाऐं जैसे
  • देसी चना - जे.जी. 315, जे.जी. 322, जे.जी. 74, जे.जी. 130, जाकी 9218, जे.जी. 16, जे.जी. 11, जे.जी. 63, जे.जी. 12, काबुली - जे.जी.के. 1, जे.जी.के. 2, जे.जी.के. 3
  • काबुली चना - जे.जी.के. 1, जे.जी.के. 2, जे.जी.के. 3 ऽ बीज बोने से पहले कार्बाक्सिन 75ःूच फफूंद नाषक की 2 ग्राम मात्रा प्रति किले बीज की दर से करें ।
  • सिंचाई दिन में न करते हुए शाम के समय करें ।
  • नियंत्रण विधियाँ:- 
    • फसल को शुष्क एवं गर्मी के वातावरण से बचाने के लिए बुआई समय से करनी चाहिए।
    • अप्रेल - मई में खेत को गहरा जोतकर छोड़ देने से कवक के बीजाणु कम हो जाते है।
    • ट्राईकोडर्मा 5 किलो ग्राम/ हे. 50 किलो ग्राम पकी गोबर की खाद के साथ मिलाकर खेत में डाले।
    प्रमुख कीट एवं नियंत्रण चना फलीभेदक
    चने की फसल पर लगने वाले कीटों में फली भेदक सबसे खतरनाक कीट है। इस कीट क प्रकोप से चने की उत्पादकता को 20-30 प्रतिषत की हानि होती है। भीषण प्रकोप की अवस्था में चने की 70-80 प्रतिषत तक की क्षति होती है।
    • चना फलीभेदक के अंडे लगभग गोल, पीले रंग के मोती की तरह एक-एक करके पत्तियों पर बिखरे रहते हैं
    • अंडों से 5-6 दिन में नन्हीं-सी सूड़ी निकलती है जो कोमल पत्तियों को खुरच-खुरच कर खाती है।
    •  सूड़ी 5-6 बार अपनी केंचुल उतारती है और धीरे-धीरे बड़ी होती जाती है। जैसे-जैसे सूड़ी बड़ी होती जाती है, यह फली में छेद करके अपना मुंह अंदर घुसाकर सारा का सारा दाना चट कर जाती है।
    •  ये सूड़ी पीले, नारंगी, गुलाबी, भूरे या काले रंग की होती है। इसकी पीठ पर विषेषकर हल्के और गहरे रंग की धारियाँ होती हैं।
    समेकित कीट प्रबंधन
    (क) यौन आकर्षण जाल (सेक्स फेरोमोन ट्रैप)ः 
    इसका
     प्रयोग कीट का प्रकोप बढ़ने से पहले चेतावनी के रूप में करते हैं। जब नर कीटों की संख्या प्रति रात्रि प्रति टैª 4-5 तकपहुँचने लगे तो समझना चाहिए कि अब कीट नियंत्रण जरूरी। इसमें उपलब्ध रसायन (सेप्टाकी ओर कीट आकर्षित होते है।और विशेष रूप से बनी कीप (फनलमें फिसलकर नीचे लगी पाॅलीथीन में एकत्र हो जाते है।
    (). सस्य क्रियाओं द्वारा नियंत्रण 
    1. 
    गर्मी में खेतों की गहरी जुताई करने से इन कीटों की सूड़ी के  कोषित मर जाते है। 2. फसल की समय से बुआई करनी चाहिए  
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