गुरुवार, 17 दिसंबर 2015


डेयरी उद्योग: सरकारी सहायता से शुरू करें यह उद्यम
अशोक वशिष्ठ
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डेयरी पालन उद्योग में दुधारू पशुओं को पाला जाता है। इनमें गाय, भैंस व बकरी उल्लेखनीय हैं। भैंस और गाय की अपेक्षा बकरी का दूध मात्रा में कम होता है। भैंस और विदेशी नस्ल की गायें ज्यादा मात्रा में दूध देती हैं। भारत में 32 तरह की गायें पाई जाती हैं। गायों की प्रजातियों को तीन रूप में जाना जाता है-ड्रोड ब्रीड, डेयरी ब्रीड व डय़ूअल परपज ब्रीड। ड्रोड ब्रीड ताकतवर होती है, इन्हें बैलगाड़ी या हल में भी जोता है, जबकि डेयरी ब्रीड को सिर्फ दूध के लिए रखा जाता है। डय़ूअल ब्रीड घरों में पाले जाने वाले दुधारू पशु होते हैं, जिन्हें किसान अपनी जीविका चलाने के लिए रखते हैं। डेयरी में गाय पालने की मुख्य रूप से तीन प्रजातियां हैं-रेड सिन्धी साहीवाल व गिर, जो सबसे ज्यादा दूध देती हैं (अक्सर डेयरी पालकों को इस नस्ल के बारे में कम जानकारी होती है)। इसके अलावा जरसी, ब्राउन स्विर हॉलस्टन और अयरशायर भी प्रमुख हैं। जरसी, मूलत: अमेरिका में पाई जाती है, हॉलस्टन हॉलैंड में और ब्राउन स्विट्जरलैंड में पाई जाती है।
भारत में 55 प्रतिशत दूध अर्थात 20 मिलियन टन दूध भैंस से मिलता है। भारत में तीन तरह की भैंसें मिलती हैं, जिनमें मुरहा, मेहसना और सुरति प्रमुख हैं। मुरहा भैंसों की प्रमुख ब्रीड मानी जाती है। यह ज्यादातर हरियाणा और पंजाब में पाई जाती है। राज्य सरकारों ने भी इस नस्ल की भैंसों की विस्तृत जानकारी की हैंड बुक एग्रीकल्चर रिसर्च काउंसिल इंडियन सेंटर (भारत सरकार) ने जारी की है। मेहसना मिक्सब्रीड है। यह गुजरात तथा महाराष्ट्र में पाई जाती है। इस नस्ल की भैंस 1200 से 3500 लीटर दूध एक महीने में देती हैं। सुरति इनमें छोटी नस्ल की भैंस है। यह खड़े सींगों वाली भैंस है। यह नस्ल भी गुजरात में पाई जाती है। यह एक महीने में 1600 से 1800 लीटर दूध देती है।
डेयरी उद्योग के लिए शैक्षिक योग्यता
गाय व भैंस डेयरी पालन उद्योग में प्रशिक्षण प्राप्ति के लिए कोई निश्चित शैक्षिक योग्यता या आयु सीमा निधारित नहीं है। कोई भी युवा, जो डेयरी पालन के क्षेत्र में स्वरोजगार अपनाना चाहता है, वह एडमिशन ले सकता है, लेकिन पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार का 60 प्रतिशत अंकों के साथ बीएससी होना जरूरी है।
परामर्श
डेयरी पालन के लिए यह जरूरी है कि गाय व भैंसों को खुली जगह में रखा जाए, लेकिन जाड़ों में बचाव के लिए गाय व भैंसों की लंबाई व चौड़ाई के अनुपात के हिसाब से उनके लिए घर बना हो। कमरों में हवा का आवागमन होता रहे।
डेयरी पालन उद्योग कैसे शुरू करें
यह उद्योग 5 से 10 गाय या भैंस के साथ शुरू किया जा सकता है।
आहार
गाय या भैंसों को एक निश्चित समय पर भोजन दिया जाना जरूरी है। रोजाना खली में मिला चारा दो वक्त दिया जाना चाहिए। इसके अलावा बरसीम, ज्वार व बाजरे का चारा दिया जाना चाहिए। दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए बिनौले का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। डेयरी मालिक यह भी ध्यान रखें कि आहार बारीक, साफ-सुथरा हो, ताकि जानवर अपने आहार को चाव से खा सके। इन्हें 32 लीटर पानी अवश्य पिलाया जाए। इनके स्वास्थ्य के लिए इतना पानी जरूरी है।
बचाव
डेयरी पालकों को चाहिए कि वे दर्द निवारक दवाओं को अपने पास रखें, ताकि जरूरत पर उनका उपयोग किया जा सके। गाय व भैंसों को अलग-अलग खूंटों पर बांधना चाहिए, क्योंकि तंग जगह में पशुओं को बीमारी होने का डर रहता है। चिकनपॉक्स, पैर व मुंह की बीमारी आम बात है, इसलिए समय-समय पर पशु-चिकित्सकों से भी सलाह लेते रहना चाहिए।
ऋण-सहायता
सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाएं डेयरी पालन उद्योग के लिए 10 लाख रुपए तक की धनराशि उपलब्ध करवाती है। इसके लिए डेयरी पालक को तमाम कागज जैसे एनओसी, एसडीएम प्रमाणपत्र, बिजली का बिल, आधार कार्ड, डेयरी का नवीनतम फोटो आदि जमा करवाने होते हैं। डेयरी की वेरीफिकेशन के बाद अगर ऑफिसर संतुष्ट होंगे तो डेयरी पालक को डेरी व पशुओं की संख्या के हिसाब से 5 से 10 लाख रुपए तक की राशि मुहैया करवाई जाती है। इसके कुछ दिनों बाद यह राशि किस्तों में जमा करवानी होती है। किस्तों का नियमित भुगतान करने पर कुछ किस्तें माफ कर दी जाती हैं।
प्रशिक्षण संस्थान
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट
(एन डी आर आई) करनाल, हरियाणा
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिटय़ूूट
आणंद, (गुजरात)
बैंक डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन, पुणे, महाराष्ट्र

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